No Fuel For Old Vehicles: दिल्ली में लागू हुए इस फैसले का सीधा संबंध आम आदमी से है, खासकर उन लाखों नागरिक से जिनकी आजीविका आवागमन और व्यक्तिगत जरूरतें इन्हीं पुरानी गाड़ियों पर निर्भर हैं. दिल्ली के परिवहन विभाग के अनुसार दिल्ली में करीब 62,लाख गाड़ियां हैं जिनकी आयु पूरी हो चुकी है इनमें 42 लाख दोपहिया वाहन और 18 लाख चार पहिया वाहन हैं.
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Toggleक्या मतलब है No Fuel For Old Vehicles का?
1 जुलाई 2025 से दिल्ली में एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स यानी पुराने वाहनों पर पेट्रोल डीजल की आपूर्ति नहीं की जाएगी इस नियम को सुचारू रूप से लागू करवाने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमसीडी) और दिल्ली पुलिस सहित अन्य प्रवर्तन एजेंसियों की टीमें दिल्ली के पेट्रोल पंप पर मौजूद रहेंगी अगर आप के पास भी पुरानी गाड़ी है तो पम्प पर जाने से बचे.
No Fuel For Old Vehicles का फैसला वापस क्यों लेना पड़ा?
देश के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली मे 1 जुलाई 2025 से लागू हुए CAQM के आदेश (No Fuel For Old Vehicles) को लेकर अब रेखा गुप्ता सरकार बैकफुट पर आ चुकी हैं. नियम लागू करने के महज 3 दिन बाद ही सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. अब दिल्ली सरकार ने CAQM से इस फैसले को तुरंत अमल में लाने से पहले मंथन करने का आग्रह किया और इस आदेश को फिलहाल स्थगित करने का अनुरोध किया है,वहीं इसको लेकर दिल्ली की पूर्व सरकार आम आदमी पार्टी ने रेखा गुप्ता को घेर रही.
दरअसल कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने अपने आदेश में कहा कि जो वाहन 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन नही देना है,ओर उनको पेट्रोल पम्प पर ही जब्त कर लेना है . इसके बाद दिल्ली सरकार ने इससे सख्ती से लागू किया और परिवहन विभाग ट्राफिक पुलिस 1 जुलाई 2025 से पेट्रोल पंपों पर रुकने वाले उम्र पूरी कर चूके वाहनों को जब्त करने लगे..
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अब दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग(CAQM) के अध्यक्ष राजेश वर्मा को लिखे पत्र में कहा कि ईंधन पर प्रतिबंध सही नही है. रेखा गुप्ता सरकार ने कहा कि हम इसे तकनीकी चुनौतियों के कारण लागू नही कर सकते है . गुरुवार को राजधानी में इस नियम के तहत एक भी वाहन को जब्त नहीं किया गया . लेकिन पहले दिन में 80 से अधिक वाहनों को जब्त किया इनमें दुपहिया और चार पहिया वाहन शामिल थे .
अब जानते हैं कि आखिर किन कारणों से दिल्ली सरकार ने केंद्र के आदेश पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की.
ANPR प्रणाली बनी सबसे बड़ा रोड़ा: CAQM के दिशानिर्देशन के तहत ( Automated Number Plate Recognition) कैमरों के जरिए पेट्रोल पंपों पर उन गाड़ियों की पहचान की जानी थी जो एंड ऑफ लाइफ श्रेणी में आती है. दिल्ली सरकार ने बताया कि यह तकनीक पूरी तरह तैयार नहीं है कई पेट्रोल पंपों पर कैमरे ठीक से काम नहीं कर रहे. दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा CAQM को लिखे पत्र में कहा कि कैमरे की स्थिति ,सेन्सर्स की खराबी और स्पीकर सिस्टम से तकनीकी गड़बड़ियां सामने आई है हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन न होने पर कैमरा गाड़ी को पहचान ही नहीं पा रहा जब मूल पहचान पत्र सही ढंग से काम नहीं कर रहा है तो कानून का सही ढंग से क्रियान्वयन संभव नही है .
दिल्ली के लोगो की आजीविका पर खतरा :
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और मुख्यमंत्री (रेखा गुप्ता) दोनों ने इस आदेश के सामाजिक प्रभाव पर विशेष जोर दिया. मनजिंदर सिरसा ने अपने पत्र में लिखा,’लाखों लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी व्यापार और आजीविका इन वाहनों पर निर्भर है. अगर अचानक से इंधन आपूर्ति बंद कर दिया तो जीवनयापन बुरी तरह प्रभावित होगा .
दिल्ली सरकार ने वैकल्पिक नीति भी रूपरेखा दी. है पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आयोग को भेजे पत्र में कहा कि राजधानी में प्रदूषण से निपटने के लिए कई बड़े कदम उठाए जा चूके हैं जिनमें बाहरी राज्यों के वाहनों के लिए पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) पत्र की जांच व्यवस्था लागू करना शामिल है. सरकार योजना बना रही की EOL गाड़ियों के मालिको को दो तीन महीने पहले SMS भेजा जाए ताकि वे अपनी गाड़ियों को समय पर हटाने की योजना बना ले .दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि गाड़ियों के उम्र से ज्यादा जरूरी है यह देखना कि वो कितना प्रदूषण फैला रही है.
राजधानी दिल्ली में NO फ्यूल वाला आदेश वापस हुआ या नही ?
अब सवाल यह उठता है कि दिल्ली सरकार के बैकफुट पर आने से (No Fuel For Old Vehicles) वाला आदेश वापस हुआ या नहीं दरअसल दिल्ली सरकार ने उम्र पूरी कर चूके हैं. वाहनों को No Fuel वाले नियम को वापस लेने के लिए केवल अनुरोध किया है सीएम ने अभी तक आदेश वापस नहीं दिया CAQM सूत्रों के अनुसार कमिशन इस पर मेरिट के आधार पर फैसला करेंगे, तब तक पुराना आदेश प्रभावी रहेगा CAQM के अध्यक्ष राजेश वर्मा इस समय चंडीगढ़ के दौरे पर हैं जिनके कारण निर्णय में तोड़ा विलम्ब हो सकता है.
जाने यह मामला कब से शुरू हुआ है ?
ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रेन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पुराने आदेशों पर आधारित है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा. इससे पहले 2014 में एनजीटी ने आदेश दिया था कि 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों का सार्वजनिक स्थानों पर पार्क करने पर रोक लगे . सरकार का कहना है की पहली APP सरकार को इन आदेशों को चुनौती देना चाहिए थी ,या उनके व्यवहारिक क्रियान्वयन पर स्पष्ट दिशा मांगनी चाहिए थी . मनजिंदर सिंह सिरसा ने पूरे मामले के लिए पूर्व आम आदमी पार्टी सरकार को जिम्मेदार ठहराया उन्होंने कहा कि आप सरकार से इस प्रतिबंध को अदालत और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में चुनौती देनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने इसे लागू कर दिया .