आईए कुछ प्रश्नों से शुरुआत करें जो सभी cop को ध्यान के रखेंगे।
Q. COP16: जैव विविधता संरक्षण के वादों की अधूरी कहानी
Q. COP16 से पहले: केवल 10% देशों ने निभाई जैव विविधता की प्रतिबद्धताएं
Q. COP16 में जैव विविधता का भविष्य: क्या देश अपने वादों पर खरे उतरेंगे?
Q. जैव विविधता संरक्षण पर COP16 की कड़ी परीक्षा: 186 देश अब भी पीछे
Q. COP16: ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क को पूरा करने की दौड़ में कौन पीछे?
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा विकसित नया टूल नेशनल बायोडायवर्सिटी स्ट्रैटेजी एंड एक्शन प्लान्स ट्रैकर (NBSAP) अब देशों की प्रगति की निगरानी कर रहा है, जो अपने NBSAPs को GBF के लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
GBF को अपनाना 196 देशों द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण समझौता था, जिसका उद्देश्य 2030 तक जैव विविधता हानि को “रोकना और पलटना” है।
COP16 से पहले: केवल 10% देशों ने निभाई जैव विविधता की प्रतिबद्धताएं
अब तक, केवल 20 देशों ने COP15 के बाद अपने NBSAPs को संशोधित किया है और जून 2024 तक सिर्फ 9 देशों और यूरोपीय संघ ने अपने अद्यतन योजनाएं प्रस्तुत की हैं। इसका मतलब है कि 186 देश पीछे चल रहे हैं, जिनमें भारत भी शामिल है जिसने अभी तक अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है।
WWF ने चिंता जताई है कि कई देशों ने अपनी प्रतिबद्धताओं को प्रभावी ढंग से प्राथमिकता नहीं दी है, और सिर्फ 33 प्रतिशत देशों ने अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को अपडेट किया है।
WWF-US की वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिनेट हेमली के अनुसार, “हमें सरकारों से स्पष्ट और महत्वाकांक्षी लक्ष्य चाहिए, साथ ही ठोस कार्य योजनाओं की भी आवश्यकता है।”
WWF ने प्रस्तुत योजनाओं की अपर्याप्त प्रगति और गुणवत्ता पर भी चिंता व्यक्त की है, खासतौर पर यह देखते हुए कि कई योजनाओं में मापने योग्य उद्देश्य नहीं हैं।
NBSAPs देशों के लिए जैव विविधता हानि से निपटने और अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने की रणनीति तैयार करने के महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित करने और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई और वित्तपोषण जुटा सकें।
हालांकि, प्रस्तुत की गई कई योजनाओं में स्पष्ट उद्देश्य और पर्याप्त वित्तपोषण की कमी पाई गई है, जिससे उनकी प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है।
देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वित्तीय संसाधनों की कमी और सरकारी विभागों के बीच समन्वय की समस्या प्रमुख हैं। पर्यावरण मंत्रालयों को अन्य क्षेत्रों के सहयोग के बिना व्यापक सामाजिक परिवर्तन लाने में मुश्किल होती है।
फिर भी, नागरिक समाज, स्वदेशी समुदायों और स्थानीय लोगों की बढ़ती भागीदारी एक सकारात्मक संकेत है।
प्रस्तुत NBSAPs में GBF लक्ष्यों को लेकर विभिन्न स्तरों की प्रतिबद्धता देखी गई है। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ और कुछ सदस्य देशों ने परागणकों की गिरावट को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि चीन ने अपनी योजना में सभी प्रकार की जैव विविधता हानि को रोकने का स्पष्ट लक्ष्य रखा है।
यह दर्शाता है कि देशों को अपनी रणनीतियों में अधिक पारदर्शिता और महत्वाकांक्षा लाने की जरूरत है।
WWF की वरिष्ठ नीति और वकालत निदेशक लिन ली का कहना है, “COP16 को सफल बनाने के लिए, हमें अद्यतन राष्ट्रीय कार्य योजनाएं पेश करनी होंगी।”
NBSAP ट्रैकर का उद्देश्य जैव विविधता से जुड़ी नीतियों को सभी हितधारकों के लिए सुलभ बनाना है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके क्योंकि देश COP16 के लिए तैयार हो रहे हैं।
COP16 देशों के लिए GBF के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह जरूरी है कि देश स्पष्ट योजनाएं प्रस्तुत करें ताकि 2030 तक दुनिया के कम से कम 30 प्रतिशत भूमि और जल क्षेत्रों को सुरक्षित किया जा सके और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित किया जा सके।
जब तक महत्वाकांक्षी लक्ष्य और सहयोगी प्रयास नहीं किए जाते, जैव विविधता हानि को पलटना एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बना रह सकता है।
निष्कर्ष : कुछ प्रश्न जो आज भी चर्चा में बने हुए है ,जिनको हल करना जरूरी है ताकि हम अपनी पृथ्वी की रक्षा कर सके तथा पारिस्थितिकी तंत्र को बचा सके ।
- COP16: जैव विविधता संरक्षण के वादों की अधूरी कहानी
- COP16 से पहले: केवल 10% देशों ने निभाई जैव विविधता की प्रतिबद्धताएं
- COP16 में जैव विविधता का भविष्य: क्या देश अपने वादों पर खरे उतरेंगे?
- 2030 तक जैव विविधता हानि रोकने की चुनौती: COP16 की अहमियत
- जैव विविधता संरक्षण पर COP16 की कड़ी परीक्षा: 186 देश अब भी पीछे
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