Cyprus and India Relations In Hindi : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस पहुंचे है। दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है खासकर व्यापर ,निवेश और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्रों में।
प्रधानमंत्री मोदी अपने तीन देशों के दौरे के पहले चरण में साइप्रस पहुंचे है। हवाई अड्डे पर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया। भारत के लिए यह दौरा कूटनीतिक नजरिये से बेहद अहम माना जा रहा है ,ऐसे समय में जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी रणनीतिक भूमिका को मजबूत कर रहा है। नरेंद्र मोदी का यह दौरा औपचारिक नही ,बल्कि भारत की रणनीतिक सोच का हिस्सा है। साइप्रस जैसे छोटे से देश के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत की विदेश नीति में ‘मल्टी एलायंस डिप्लोमेसी’ की दिशा में एक अहम कदम है।

बहरहाल, माना जा रहा है की प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से नई दिल्ली और निकोसिया के रिश्तों में बदलाव आएगा। साइप्रस 1 जनवरी से यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता संभालेगा। यह भी निश्चित है कि नरेंद्र मोदी साइप्रस के साथ कई समझोतों पर हस्ताक्षर करेंगे। दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है। साइप्रस के प्रधानमंत्री निकोस क्रिस्टोडौलिडेस और नरेंद्र मोदी के बीच आधिकारिक बातचीत सोमवार को होगी। पीएम मोदी का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक रूप से स्वागत किया जायेगा।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा क्रिस्टोडौलिडेस के नियंत्रण में हो रही है इससे पहले राष्ट्रपति निकोस अनास्तासियादेस ने आठ साल पहले भारत का दौरा किया था। आख़िरी बार अटल बिहारी वाजपेय ने साइप्रस का दौरा किया था।
Cyprus and India Relations( भारत और साइप्रस के बीच संबंध ) कुछ अहम समझौते
- भारत और साइप्रस के रिश्ते से तुर्किये खुश नही होने वाला
तुर्की भारत और साइप्रस के बीच बढ़ते संबंधों से खुश नहीं है। प्रधानमंत्री G 7 शिखर सम्मलेन के लिए कनाडा जाने से पहले साइप्रस पहुंचे हैं। भारत के पाकिस्तान साथ बढ़ते मनमुटाव के बाद यह भारतीय प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा हैं. तुर्किये के रवैये को देखते हुए महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। क्यों की तुर्की पाकिस्तान का समर्थन करता है . जब भारत ने पहलागाम आतंकी ठिकानों पर मिलिट्री एक्शन यानी ऑपरेशन सिन्दूर चलाया ,जिस दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। भारत के ग्रीस और साइप्रस के साथ बढ़ते संबंधों को तुर्किये अच्छी नजर से नही देखता भारत साइप्रस को यूरोपीय संघ के लिए एक “पुल” के रूप के रूप में देखता है।
2. पुराने और भरोसेमंद रणनीतिक सम्बन्ध
वैसे भारत और साइप्रस के रिश्ते 1960 के दशक से मजबूत रहे है। साइप्रस हमेशा प्रमुख मुद्दों में खुलकर समर्थन करता आ है जैसे जम्मू- कश्मीर पर भारत के पक्ष को समझा और समर्थन किया। ये दोनों देश गुटनिरपेक्ष आन्दोलन(NAM ) के सक्रिय सदस्य है।
3.भारत और साइप्रस के बीच व्यापर और निवेश
साइप्रस ,यूरोपीय संघ का सदस्य है और इसका टैक्स ढांचा भारतियों को आकर्षित करता है भारत और साइप्रस के बीच डबल टैक्स अवाइडेंस यान Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) लागू है, जिससे भारत को टैक्स में राहत मिलती है . कई भारतीय कम्पनियाँ साइप्रस को यूरोपीय और पश्चिम एशियाई बाजार में एंट्री पॉइंट के रूप में इस्तेमाल करती हैं।
4 . रणनीतिक स्थान
साइप्रस पूर्वी भूमध्य सागर में स्थित है और यूरोप ,पश्चिम एशिया और अफ्रीका के त्रिकोण पर आता है यह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्त्वपूर्ण है,खासकर समुद्री सुरक्षा ,ऊर्जा परिवहन और कूटनीतिक पहुँच के लिए साइप्रस भारत के लिए महत्वपूर्ण देश है।
5 . शिक्षा और सांस्कृतिक जुड़ाव भारत और साइप्रस के बीच
साइप्रस में बड़ी संख्य में भारतीय छात्र उच्च शिक्षा खासकर मेडिकल हॉस्पिटैलिटी की पढ़ाई क्र रहे है, और भारतीय संस्कृति ,योग और बॉलीवुड का प्रभाव साइप्रस में लगातार बढ़ रहा है जिससे भारत और साइप्रस की रिश्ते और मजबूत होते दिख रहे है।
6. रक्षा और सुरक्षा सहयोग की संभावनाएं है दोनों देशों के बीच
भारत और साइप्रस के बीच समुद्री सुरक्षा , साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग में साझेदारी की संभावना को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
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