Donald Trump : अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने सोमवार को पदभार संभालते ही पहले दिन कई बड़े कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। इन आदेशों में अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकालने, टिकटॉक को प्रतिबंध से बचने के लिए 75 दिन का समय देने, और क्षमादान शक्तियों का उपयोग करने जैसे महत्वपूर्ण फैसले शामिल थे।

इससे पहले, सोमवार रात (भारतीय समयानुसार)Donald Trump ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी उपस्थित थे, जिससे यह आयोजन और अधिक चर्चा का विषय बन गया।
Donald Trump के राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में विश्व की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों के सीईओ और उनके साथी विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहे। इस समारोह में मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चैन, अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस और उनकी मंगेतर लॉरेन सांचेज, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, और ट्रंप के करीबी सलाहकारों में शामिल एलन मस्क उपस्थित थे।
इसके अलावा, एपल के सीईओ टिम कुक और टिकटॉक के सीईओ शोउ ज़ी च्यू ने भी इस आयोजन में शिरकत की। इन दिग्गज हस्तियों की मौजूदगी ने न केवल समारोह की भव्यता बढ़ाई, बल्कि तकनीकी और राजनीतिक जगत के रिश्तों पर भी नई चर्चाओं को जन्म दिया।
इन बड़े नामों की उपस्थिति यह संकेत देती है कि ट्रंप के कार्यकाल में तकनीकी उद्योग और सरकार के बीच संबंधों पर खासा ध्यान दिया जाएगा। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि इन नेताओं और ट्रंप प्रशासन के बीच क्या नीतिगत सहयोग और चुनौतियां सामने आती हैं। आइए, इस संबंध में विस्तार से जानें…

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Toggleसबसे पहले जानते हैं क्षमादान के बारे में
Donald Trump ने राष्ट्रपति पद संभालते ही अपने पहले दिन अपनी व्यापक क्षमादान शक्तियों का उपयोग किया। उन्होंने अमेरिकी न्याय विभाग के इतिहास में सबसे बड़ी जांच और अभियोजन से जुड़े मामलों को समाप्त करने का फैसला लिया। ट्रंप ने घोषणा की कि वह 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी संसद भवन (यूएस कैपिटल) पर हुए हमले के आरोपियों और अपने करीब 1,500 समर्थकों को क्षमादान दे रहे हैं।
यह कदम काफी हद तक अपेक्षित था, क्योंकि ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान इस निर्णय का उल्लेख किया था। संसद भवन पर हुए इस हमले में 100 से अधिक पुलिस अधिकारी घायल हुए थे और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए थे।
Donald Trump ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम “राष्ट्रीय एकता और न्यायिक प्रणाली में विश्वास बहाल करने” के लिए आवश्यक था। हालांकि, इस फैसले ने व्यापक विवाद और आलोचना को जन्म दिया, क्योंकि इसे लोकतंत्र और कानून के शासन पर एक बड़े सवाल के रूप में देखा जा रहा है।
टिकटॉक के संचालन को 75 दिन की मोहलत
Donald Trump ने सोमवार को वीडियो साझा करने वाले मंच टिकटॉक के संचालन को 75 दिन बढ़ाने के संबंध में एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए। अमेरिका में टिकटॉक के लगभग 17 करोड़ उपयोगकर्ता हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक मंच बनाते हैं।
Donald Trump द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश में कहा गया, “मैं अटॉर्नी जनरल को निर्देश दे रहा हूं कि आज से अगले 75 दिनों तक टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई कदम न उठाए जाएं। इस अवधि का उपयोग मेरे प्रशासन द्वारा एक उचित प्रस्ताव तैयार करने के लिए किया जाएगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करेगा और लाखों अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के लिए इस मंच के संचालन को अचानक बंद होने से बचाएगा।”

यह निर्णय ट्रंप प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को संतुलित करने और प्लेटफॉर्म के व्यापक उपयोगकर्ता आधार के हितों को संरक्षित करने का प्रयास प्रतीत होता है।
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हालांकि, इस कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ इसे ट्रंप प्रशासन की व्यावहारिक सोच के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह केवल प्रतिबंध को टालने की रणनीति है। अब यह देखना होगा कि इन 75 दिनों के भीतर ट्रंप प्रशासन किस प्रकार का समाधान पेश करता है।
अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकालेंगे ट्रंप
Donald Trump ने राष्ट्रपति पद संभालते ही एक बार फिर अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकालने का ऐलान किया। इस फैसले से वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने के लिए चल रहे अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को गहरा झटका लगेगा और अमेरिका अपने करीबी सहयोगियों से एक बार फिर दूरी बना लेगा। ट्रंप का यह कदम 2017 में उनके पहले कार्यकाल की याद दिलाता है, जब उन्होंने अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर निकालने की घोषणा की थी।
व्हाइट हाउस की इस घोषणा ने वैश्विक मंच पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ चल रही रणनीतियों और साझेदारियों को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। यह निर्णय अमेरिका की प्राथमिकताओं में जलवायु परिवर्तन से निपटने के मुद्दे को पीछे धकेलता हुआ प्रतीत होता है।
डॉ. अरुणाभा घोष (सीईईडब्ल्यू सीईओ) की प्रतिक्रिया
डॉ. अरुणाभा घोष, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के सीईओ ने ट्रंप के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“संयुक्त राज्य अमेरिका को पेरिस समझौते से दोबारा अलग करने का राष्ट्रपति ट्रंप का फैसला अप्रत्याशित नहीं था।”
उन्होंने आगे दो प्रमुख अनिश्चितताओं की ओर इशारा किया:
- क्या अमेरिकी सरकार और कॉर्पोरेट सेक्टर स्वच्छ तकनीक में निवेश और नवाचार को प्राथमिकता देंगे?
- अमेरिका के इस कदम के बाद उत्सर्जन कटौती में मौजूदा अंतर को भरने के लिए अन्य बड़े उत्सर्जक देश क्या कदम उठाएंगे?
डॉ. घोष ने इस मौके पर भारत के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भारत को स्वच्छ तकनीक, हरित आजीविका, और लचीली अर्थव्यवस्था के विकास के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। यह न केवल भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूत करेगा, बल्कि आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए भी नई संभावनाएं खोलेगा।
उन्होंने निष्कर्ष में जोड़ा:
“जलवायु नीति अब केवल पर्यावरण से जुड़ी नहीं है, यह औद्योगिक नीति का हिस्सा बन चुकी है। जलवायु जोखिम अब व्यापक आर्थिक जोखिम है, और इससे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सार्थक साझेदारियां और स्वच्छ तकनीक का विकास अत्यंत आवश्यक है।”

प्रभाव और भविष्य की दिशा
- वैश्विक प्रभाव: अमेरिका के इस कदम से अन्य देशों पर अधिक जिम्मेदारी आ जाएगी कि वे पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक प्रयास करें।
- भारत की भूमिका: भारत के लिए यह अवसर है कि वह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक नेतृत्व में सक्रिय भूमिका निभाए और स्वच्छ ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा दे।
- ट्रंप प्रशासन की नीति: ट्रंप के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि उनके दूसरे कार्यकाल में भी जलवायु परिवर्तन उनकी प्राथमिकताओं में नहीं रहेगा।
यह फैसला न केवल पर्यावरणीय बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर भी दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के बाहर निकलने का आदेश
Donald Trump ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में सोमवार को शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को बाहर निकालने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। यह निर्णय ट्रंप की लंबे समय से चली आ रही आलोचना का नतीजा है, जिसमें उन्होंने WHO पर कोरोना महामारी के दौरान चीन के पक्ष में पक्षपात करने का आरोप लगाया था।
व्हाइट हाउस में इस आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा:
“संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पक्षपात किया है। यह संगठन चीन को प्राथमिकता देता है और उसने महामारी के दौरान हमें ठगा है।”
ट्रंप का आरोप और पृष्ठभूमि
- Donald Trump ने WHO पर आरोप लगाया कि उसने कोविड-19 महामारी की गंभीरता को शुरू में कम करके आंका और इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया, जिससे दुनिया को भारी नुकसान हुआ।
- उन्होंने यह भी दावा किया कि WHO ने चीन की गलतियों को छिपाने में मदद की और पारदर्शिता की कमी रखी।
- उनके अनुसार, WHO ने अमेरिका से भारी वित्तीय सहायता लेने के बावजूद चीन को अधिक महत्व दिया।
अमेरिका के बाहर निकलने का प्रभाव
- वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों पर असर:
अमेरिका WHO का सबसे बड़ा वित्तीय योगदानकर्ता है। इसके हटने से वैश्विक स्वास्थ्य परियोजनाओं, विशेष रूप से विकासशील देशों में, वित्तीय संकट हो सकता है। - चीन का प्रभाव बढ़ना:
Donald Trump के फैसले से WHO में अमेरिका की भूमिका कमजोर होगी, और चीन जैसे देशों का प्रभाव बढ़ने की संभावना है। - अमेरिका की वैश्विक भूमिका पर सवाल:
यह कदम अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य मुद्दों से दूर कर सकता है, जिससे उसकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ सकते हैं।
ट्रंप के फैसले पर प्रतिक्रिया
- आलोचक:
इस कदम को वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों को कमजोर करने और अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंचाने वाला बताया जा रहा है। - समर्थक:
ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह फैसला अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए सही है और WHO को जवाबदेह ठहराने का एक कदम है।
भविष्य की दिशा
Donald Trump का यह निर्णय उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस फैसले का अमेरिका और बाकी दुनिया पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या पड़ता है। इससे वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों को मजबूती देने के लिए नए साझेदारी मॉडल और वित्तीय ढांचे पर काम करने की आवश्यकता हो सकती है।
पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने की घोषणा
Donald Trump ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर करने की घोषणा की। व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बार फिर इस ऐतिहासिक समझौते से अमेरिका को अलग करने का फैसला किया है।
Donald Trump ने शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद कैपिटल वन एरिना में कार्यकारी आदेशों के पहले सेट पर हस्ताक्षर किए, जिसमें पेरिस जलवायु संधि से हटने का आदेश शामिल था।
Donald Trump का रुख और उद्देश्य
- Donald Trump का कहना है कि यह समझौता अमेरिकी उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर अनुचित बोझ डालता है।
- उन्होंने इसे “अमेरिका के साथ अन्याय” करार दिया और कहा कि उनका उद्देश्य अमेरिकी ऊर्जा क्षेत्र और नौकरियों की रक्षा करना है।
- Donald Trump ने दावा किया कि यह समझौता अमेरिकी हितों के विपरीत है और इससे अमेरिका को बड़ा आर्थिक नुकसान होता है।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
- वैश्विक जलवायु प्रयासों पर असर:
अमेरिका, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक है, के बाहर होने से पेरिस समझौते के लक्ष्यों को गंभीर झटका लगेगा। - अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
इस फैसले ने अमेरिका के करीबी सहयोगियों और जलवायु संरक्षण के पैरोकार देशों में निराशा पैदा की है। - आलोचना और समर्थन:
- आलोचक: ट्रंप के इस कदम को पर्यावरण और वैश्विक स्थिरता के लिए नुकसानदेह बताया जा रहा है।
- समर्थक: ट्रंप समर्थक इसे “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत सही ठहराते हुए इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक राहत मानते हैं।
आगे की दिशा
यह कदम अमेरिका की पर्यावरण नीति को लेकर वैश्विक स्तर पर सवाल खड़ा करता है। साथ ही, यह पेरिस समझौते के लक्ष्यों को कमजोर कर सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में बाधा आ सकती है। अब अन्य देश किस तरह इस अंतर को भरते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
यूएस में मौत की सजा की फिर होगी शुरुआत
Donald Trump ने अपने बड़े कार्यकारी आदेशों के तहत मौत की सजा को लेकर एक अहम फैसला लिया है। इस आदेश में न्याय विभाग को निर्देश दिया गया है कि गंभीर संघीय मामलों में दोषी ठहराए गए अपराधियों के लिए मौत की सजा की मांग की जाए।
Donald Trump ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिए हैं कि सभी राज्यों के पास अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए पर्याप्त मात्रा में घातक जहरीले इंजेक्शन उपलब्ध हों।
ट्रंप का रुख और उद्देश्य
- Donald Trump ने कहा कि यह कदम अमेरिका में कानून और व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
- उन्होंने इसे न्याय और अपराध रोकथाम का एक आवश्यक हिस्सा बताया।
- ट्रंप ने जोर दिया कि गंभीर अपराधों, विशेषकर हत्या और आतंकवाद के मामलों में मौत की सजा एक प्रभावी निवारक है।
प्रभाव और आलोचना
- न्यायिक प्रभाव:
संघीय मामलों में मौत की सजा को लागू करने से न्याय प्रणाली में कठोरता आएगी, लेकिन यह मानवाधिकार संगठनों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। - आलोचना:
- मानवाधिकार संगठनों और कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे “अनैतिक” और “अमानवीय” बताया।
- घातक इंजेक्शन के उपयोग और इसकी उपलब्धता को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि इसे क्रूर और असंवेदनशील प्रक्रिया माना जाता है।
- समर्थन:
ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह कदम अपराध दर को कम करेगा और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करेगा।
पृष्ठभूमि
- मौत की सजा पर बहस:
अमेरिका में मौत की सजा लंबे समय से विवादास्पद मुद्दा रहा है। कुछ राज्य इसे लागू करते हैं, जबकि अन्य राज्यों ने इसे निष्क्रिय कर दिया है। - संघीय स्तर पर बहाली:
2003 के बाद से संघीय स्तर पर मौत की सजा काफी हद तक निष्क्रिय थी। ट्रंप का यह आदेश इसे फिर से सक्रिय करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आगे की दिशा
इस फैसले का दूरगामी प्रभाव अमेरिकी न्याय प्रणाली और मानवाधिकारों पर पड़ेगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इसे लागू करने में राज्यों को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और यह अपराध दर को कितना प्रभावित करता है।
90 दिनों के लिए विदेशी आर्थिक मदद निलंबित
Donald Trump ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए 90 दिनों के लिए यूक्रेन समेत सभी देशों की आर्थिक मदद अस्थायी रूप से निलंबित कर दी है। इस आदेश के तहत अमेरिका द्वारा संचालित सभी विदेशी सहायता कार्यक्रमों को समीक्षा लंबित रहने तक रोक दिया गया है।
व्हाइट हाउस ने इस फैसले को नीतिगत लक्ष्यों के मूल्यांकन का हिस्सा बताया। आदेश में कहा गया है कि सहायता कार्यक्रमों की समीक्षा के बाद यह तय किया जाएगा कि वे अमेरिकी हितों और राष्ट्रपति की नीतियों के अनुरूप हैं या नहीं।
Donald Trump का उद्देश्य
- ट्रंप ने कहा कि यह कदम “अमेरिकी करदाताओं के पैसे की रक्षा” करने और उसे अधिक प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने के लिए उठाया गया है।
- उन्होंने दावा किया कि कई सहायता कार्यक्रम अमेरिका के नीतिगत लक्ष्यों को पूरा नहीं करते और इसमें “भ्रष्टाचार और अनियमितताएं” शामिल हो सकती हैं।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
- वैश्विक प्रभाव:
यूक्रेन और अन्य देशों पर इस फैसले का गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर उन देशों पर जो अमेरिकी सहायता पर काफी हद तक निर्भर हैं। - राजनीतिक विवाद:
- आलोचना: यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की साख को कमजोर कर सकता है। आलोचकों का कहना है कि इससे सहयोगी देशों के साथ संबंध प्रभावित होंगे।
- समर्थन: ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह फैसला अमेरिकी करदाताओं के हितों की रक्षा करेगा।
- यूक्रेन पर असर:
यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता न केवल आर्थिक बल्कि सैन्य मदद के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस निलंबन से यूक्रेन की सुरक्षा और रूस के साथ उसके संघर्ष पर प्रभाव पड़ सकता है।
पृष्ठभूमि
- विदेशी सहायता की समीक्षा:
अमेरिका ने लंबे समय से अन्य देशों को सहायता प्रदान की है, जो राजनीतिक, आर्थिक, और मानवीय प्रयासों का हिस्सा रही है। ट्रंप के इस कदम को उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत देखा जा रहा है। - यूक्रेन और अमेरिका:
यूक्रेन को अमेरिका से मिली सहायता रूस के साथ उसके संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस निलंबन से न केवल यूक्रेन बल्कि पूरे यूरोप पर असर पड़ सकता है।
आगे की दिशा
90 दिनों की इस अस्थायी रोक के दौरान अमेरिका द्वारा संचालित सभी सहायता कार्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह निर्णय अमेरिका की विदेश नीति और वैश्विक स्थिरता पर क्या प्रभाव डालता है। विशेष रूप से, यह तय करना कि किन कार्यक्रमों को बहाल किया जाएगा और किन्हें स्थायी रूप से समाप्त किया जाएगा।
अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव: अमेरिकी हितों की प्राथमिकता
Donald Trump ने एक और महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें विदेश विभाग को निर्देश दिया गया कि अमेरिकी विदेश नीति “अमेरिकी हितों की रक्षा करेगी” और हमेशा अमेरिका और उसके नागरिकों को प्राथमिकता देगी। इस आदेश के बाद, मार्को रुबियो को अमेरिकी सीनेट द्वारा विदेश मंत्री के रूप में पुष्टि किए जाने के तुरंत बाद यह कदम उठाया गया।
Donald Trump का यह कदम अमेरिका की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत विदेशी मामलों में एक स्पष्ट रुख को दर्शाता है, जिसमें वह अमेरिका के लिए सबसे अच्छा परिणाम सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं।
आव्रजन पर अंकुश और जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बढ़ावा
इसके अलावा, Donald Trump ने कई अन्य कार्यकारी आदेशों पर भी हस्ताक्षर किए, जिनमें प्रमुख थे:
- आव्रजन पर अंकुश:
ट्रंप ने आव्रजन नियमों को सख्त करने और अवैध आव्रजन को रोकने के लिए नए उपायों को लागू करने की योजना बनाई। उनका कहना था कि यह कदम अमेरिकी सुरक्षा और रोजगार की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। - जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बढ़ावा:
ट्रंप ने अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आदेश जारी किए, खासकर जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में। उनका उद्देश्य पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोयला के उत्पादन को बढ़ावा देना और अमेरिका को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। - पर्यावरणीय नियमों की वापसी:
ट्रंप ने पर्यावरणीय नियमों को वापस लेने का निर्णय लिया, जिन्हें उन्होंने उद्योगों और व्यवसायों के लिए प्रतिबंधक माना। यह कदम विशेष रूप से ऊर्जा, निर्माण और खनन क्षेत्रों को राहत देने के लिए उठाया गया है।
ट्रंप की नीति का उद्देश्य और प्रभाव
- अमेरिका के लिए प्राथमिकता:
Donald Trump का यह रुख अमेरिका को वैश्विक मंच पर अपने सर्वोत्तम हितों की रक्षा करने के लिए एक मजबूत स्थिति में रखने का उद्देश्य रखता है। - आव्रजन पर अंकुश:
इससे अवैध आव्रजन को रोकने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे देश के आंतरिक मुद्दों पर भी प्रभाव पड़ेगा, खासकर श्रमिक बाजार पर। - जीवाश्म ईंधन को बढ़ावा:
इस कदम से ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, लेकिन पर्यावरणीय चिंताओं को लेकर आलोचना भी हो सकती है।
आगे की दिशा
यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप के इन आदेशों का अमेरिकी समाज, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से, यह कदम अमेरिका की ऊर्जा नीति, सुरक्षा और आव्रजन के क्षेत्रों में किस तरह के बदलाव लाएगा, यह समय के साथ स्पष्ट होगा।
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