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Toggleहिज्बुल्लाह(HEZBOLLAH) किस देश का है?
इसका गठन 1982 में लेबनान में हुआ था,और यह एक शिया मुस्लिम संगठन है. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य इजराइल के खिलाफ जंग है.यह पश्चिमी हस्तक्षेप के विरोध के लिए जाना जाता है.
हिज़बुल्लाह की वास्तविक ताकत कौन-कौन सी है?
1. सैन्य शक्ति
हिज़बुल्लाह(HEZBOLLAH) की सैन्य शक्ति इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है. इस संघटन ने इजराइल के खिलाफ कई बड़े संघर्षों में भाग लिया है. हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत की नींव उसके अनुशासन, रणनीतिक दक्षता और आधुनिक हथियारों साथ में ईरान का समर्थन इसकी सैन्य ताकत को और भी ज्यादा मजबूत बना देती है . इसके लडके गुरिल्ला युद्ध में कौशल हैं और गुप्त बंकर ध्वंसक तकनीक का इस्तेमाल करते है जिससे इसकी सैन्य क्षमता में और बढ़ोतरी होती है .
2. राजनीतिक प्रभाव
HEZBOLLAH
हिज़बुल्लाह एक सैन्य संगठन होने के साथ-साथ लेबनान की सरकार में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है. इसकी राजनीतिक शुरुआत 1992 हुई थी जब इसने पहली बार चुनावी प्रक्रिया में भाग लिया था. वर्तमान समय में हिज़बुल्लाह लेबनान की सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
हिज़बुल्लाह की राजनितिक शक्ति का मुख्य कारण इसका गहरा जनसमर्थन है, विशेष रूप से लेबनानी शिया समुदाय के बीच.
3. सामाजिक और धार्मिक प्रभाव
इसकी ताकत का एक और स्तंभ उसका सामाजिक और धार्मिक आधार है. यह संघठन शिया इस्लाम की धार्मिक धारणाओं पर आधारित है,और अपने अनुयायियों के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित करता है.
4. ईरान और सीरिया से सहयोग
HEZBOLLAHको कुछ देशों का समर्थन प्राप्त है जैसे ईरान,सीरिया इन देशों के कारण यह इजराइल से युद्ध कर पता है. ईरान के माध्यम से हिज़बुल्लाह को वित्तीत और सैन्य प्रशिक्षण और हथियार प्रदान किए जाते है.सीरिया इसको एक महत्वपूर्ण सहयोग देता है,विशेष रूप से 201 1 में शुरू हुए सीरियाई गृहयुद्ध के बाद से .

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच क्या मसला है?
इजराइल और HEZBOLLAH के बीच का संघर्ष मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक और सामरिक परिवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इजराइल और हिजबुल्लाह का संघर्ष केवल क्षेत्रीय प्रभुत्व से संबंधित नही है बल्कि इसमें धार्मिक और राजनीतिक हित जुड़े है. इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष की पृष्ठभूमि

1. संघर्ष की शुरुआत
हिजबुल्लाह का गठन 1982 में हुआ था. जब इजराइल ने लेबनान पर आक्रमण किया था. इस आक्रमण का उद्देश्य फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO)को कमजोर करना था. लेकिन उसका उल्टा असर दिखा एक हिजबुल्लाह जैसा संघठन बन गया. HEZBOLLAH ने खुद को इजराइल के प्रतिरोध के रूप में स्थापित किया, इजराइल के खिलाफ सैन्य गतिविधियां बढ़ाई.
2. 1985-2000: इज़राइल के खिलाफ पहला बड़ा प्रतिरोध
इजराइल ने 1985 में दक्षिण लेबनान में अपनी सेना तैनात कर दी जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया,इसके बाद 2000 में इजराइल को अपनी सेना दक्षिण लेबनान से वापस बुलानी पड़ी.
3. 2006 का इज़राइल-लेबनान युद्ध
इज़राइल और HEZBOLLAH के बीच सबसे बड़ा और प्रमुख टकराव 2006 में हुआ। इस संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब हिज़बुल्लाह ने इज़राइली सैनिकों को बंधक बना लिया, जिसके जवाब में इज़राइल ने लेबनान पर हमला कर दिया। इस संघर्ष में भारी विनाश हुआ, और लगभग 34 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में दोनों पक्षों ने भारी क्षति उठाई। इज़राइल ने हिज़बुल्लाह के ठिकानों और नागरिक इलाकों पर बमबारी की, जबकि हिज़बुल्लाह ने इज़राइल पर हजारों रॉकेट दागे।
युद्ध के बाद, हिज़बुल्लाह ने खुद को एक मजबूत और संगठित प्रतिरोध शक्ति के रूप में स्थापित किया, जो इज़राइल की सैन्य क्षमता का सामना कर सकता था। जबकि इज़राइल ने दावा किया कि उसने हिज़बुल्लाह को कमजोर किया, हिज़बुल्लाह ने इस संघर्ष से अपनी ताकत को और बढ़ाया और क्षेत्र में उसका समर्थन भी बढ़ा।
4. ईरान और सीरिया की भूमिका
इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच संघर्ष में ईरान और सीरिया का बड़ा योगदान है। ईरान, हिज़बुल्लाह का मुख्य समर्थक है, जो उसे वित्तीय सहायता और सैन्य संसाधन प्रदान करता है। ईरान के अलावा, सीरिया ने भी हिज़बुल्लाह को समर्थन दिया है, खासकर सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान, जब हिज़बुल्लाह ने सीरियाई सरकार का समर्थन किया।
ईरान और सीरिया से मिलने वाला यह समर्थन हिज़बुल्लाह की सैन्य शक्ति को लगातार मजबूत करता रहा है। इज़राइल का मानना है कि हिज़बुल्लाह की बढ़ती ताकत और उसके हथियारों का स्रोत ईरान है, और इसी कारण इज़राइल अक्सर सीरिया और लेबनान में HEZBOLLAH के ठिकानों पर हवाई हमले करता है।
5. वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियां
हसन नसरल्लाह का इज़राइल के प्रति एक दृढ़ विरोधी रुख रहा है। 2006 में हुए इज़राइल-लेबनान युद्ध के दौरान, नसरल्लाह ने HEZBOLLAH का नेतृत्व किया और इस संघर्ष ने उन्हें पूरे अरब जगत में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व को विशेष रूप से प्रतिरोध की एक शक्तिशाली छवि के रूप में देखा जाता है, जिससे उन्हें शिया समुदाय और अन्य समर्थकों के बीच अत्यधिक सम्मान मिला है।
नसरल्लाह की विचारधारा शिया इस्लामिक सिद्धांतों पर आधारित है और उन्हें ईरान का समर्थन भी प्राप्त है। वह हिज़बुल्लाह की सैन्य गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक अभियानों का भी नेतृत्व करते हैं, जिससे संगठन का लेबनान में व्यापक प्रभाव बना हुआ है।
निष्कर्ष
इज़राइल और HEZBOLLAH के बीच का संघर्ष मध्य पूर्व की राजनीति और भू-राजनीतिक ढांचे का एक अहम हिस्सा है। यह संघर्ष केवल दो पक्षों के बीच नहीं, बल्कि इसमें अन्य क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय ताकतों का भी योगदान है। हिज़बुल्लाह का लगातार बढ़ता प्रभाव और इज़राइल का सुरक्षा दृष्टिकोण दोनों ही इस संघर्ष को जटिल बनाते हैं, और इसका अंत कब और कैसे होगा, यह कहना मुश्किल है।