कुछ पार्टियां वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ क्यों है?
one nation one election kya hai? वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब क्या है ?
- वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है पूरे देश के चुनाव एक साथ करवाना जिसमे दो चरणों का प्रयोग होगा !
- पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने है ।
- दूसरे चरण में में आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर नगर निगम और पंचायत चुनाव कराने का प्रस्ताव किया गया था।
विपक्षी दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध क्यों किया?
- विपक्षी दलों ने एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की की निंदा की और दावा किया की यह “संघावद” के को नष्ट कर देगा और “अव्यावहारिक” है।
कौन से दल वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ है?
- बीएसपी ने तर्क दिया कि देश की बढ़ी क्षेत्रीय सीमा और जनसंख्या कार्यान्वय को चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
- कांग्रेस ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव संविधान की मूल संरचना में महत्त्वपूर्ण बदलाव करेगा और संसदीय लोकतंत्र की नष्ट करेगा तथा संघवाद की गारंटी के खिलाफ है।
- आप ने आरोप लगाया की एक राष्ट्र , एक चुनाव सरकार के राष्ट्रपति स्वरूप को संस्थागत बनाता है जिससे अविश्वास मत से हटाया नहीं जा सकता है ।
- सीपीआई(एम) ने कहा कि यह सुझाव मूल रूप से अलोकतांत्रिक है और संविधान में निर्धारित संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ पर प्रहार है ।
- समाजवादी पार्टी ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य स्तरीय चुनाव रणनीति और खर्च राष्ट्र पार्टियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी।
कितनी पार्टियां वन नेशन वन इलेक्शन के पक्ष में है?
- “बतीस राजनीतिक दलों ने केवल एक साथ चुनाव की प्रणाली का समर्थन किया ,बल्कि दुर्लभ संसाधनों को बचाने, सामाजिक सद्भावना की रक्षा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अपनाने की वकालत की ।”
- इनमें भाजपा, अन्नाद्रमुक,बीजद , जेडीयू, आजसू , एनपीपी , अकाली दल, अपना दल, लोजपा, आरएलडी शिवसेना कुछ मुख्य पार्टियों ने समर्थन किया है।
- बीजेपी का कहना है की यह आर्थिक, प्रशासनिक और लोकतांत्रिक कारणों से राष्ट्रीय हित में है।
- AJSU ने कहा कि नया प्रारूप लागत कम करेगा , प्रशासन में सुधार करेगा और आदर्श आचार संहिता के बार – बार लागू होने के कारण रोजमर्रा की जिंदगी पर विघटनकारी प्रभाव कम करेगा ।
वन नेशन वन इलेक्शन पैनल में कौन कौन या कितने सदस्य थे?
- इस समिति के सदस्य:
- गृह मंत्री अमित शाह
- राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद
- पूर्व लोक सभा महासचिव सुभाष कश्यप
- 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह
- वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे
- पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठरी
- कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति के आमंत्रित सदस्य थे।
रामनाथ कोविंद पैनल की विशेषताएं क्या है?
- कोविंद पैनल ने कुल 65 बैठके की।
- अंतिम बैठक 10 मार्च को की
- समिति ने कई रिपोर्टों और अध्ययनों का हवाला दिया तथा विभिन्न हितधारकों से मुलाकात की ।
- इसने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें प्रस्तुत की
राम नाथ कोविंद पैनल ने कौन कौन सी सिफारिशें की है? Key Recommended of the kovind comittee
- दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा ।
- पहले चरण में लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव होंगे।
- इसके लिए संविधान संशोधन के लिए राज्यों के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
- दूसरे चरण में , नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा , राज्य के चुनाव के साथ समन्वयित लिए जायेंगे।
- यह इस तरह किया जायेगा की लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जायेंगे ।
- इसके लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी।
वन नेशन वन इलेक्शन के लिए संविधान के किस अनुच्छेद में संशोधन करना पड़ेगा।
- Article 83 (लोकसभा टर्म)
- 85 ( loksabha dissolution)
- 172 ( state Legislative Assembly term)
- 174 ( state Legislative Assembly dissolution)
- 356 ( president Rule)
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।
- बार बार चुनाव होने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ता है। अगर राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले खर्च को भी जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़े और ज्यादा होंगे। अब तक चुनाव में को खर्च हुआ।
- चुनाव के कारण सरकारी मशीनरी में। व्यवधान से नागरिकों को कठनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा बलों का बार बार उपयोग अनेक कर्तव्यों के निर्वहन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है ।
- आदर्श आचार संहिता को बार बार लागू करने से नीतिगत पंगुता हो जाती है और विकास कार्यक्रमों की गति धीमी हो जाती है।
- संविधान के मौजूदा ढाचें के तहत एक साथ चुना नहीं कराए जा सकते है।
- इन्हें संविधान, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 , लोकसभा और राज्य विधान सभाओं की प्रक्रिया के नियमों में उचित संशोधन के माध्यम से एक साथ रखा जा सकता है।
- कम से कम 50% राज्यों को संवैधानिक संशोधनों का अनुमोदन करना होगा ।
क्या वन नेशन वन इलेक्शन से सरकार की जवाबदेही काम हो जायेगी?
- कमजोर विपक्ष और कम नियंत्रण और संतुलन
- राजनीतिक संकटों से निपटने में लचीलेपन में कमी
- इससे आवश्यक मुद्दों को समय पर संबोधित करने की जिम्मेदारी काम हो सकती है।
निष्कर्ष
एक राष्ट्र ,एक चुनाव परियोजना संसद द्वारा पारित कियेबजने दो संविधान संशोधन विधेयकों पर निर्भर है, जिसके लिए सरकार को विभिन्न दलों के बीच व्यापक सहमति की आवश्यकता होगी। चूंकि बीजेपी के पास लोकसाभ में अपने दम पर बहुमत नहीं है, इसलिए उसे एनडीए में अपने सहयोगियों के साथ -साथ विपक्षी दलों से भी बात करनी होगी।
FAQ
Q.one nation one election kya hai?
वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है पूरे देश के चुनाव एक साथ करवाना जिसमे दो चरणों का प्रयोग होगा !
Q. One nation one election pro and cons?
दुर्लभ संसाधनों को बचाने, सामाजिक सद्भावना की रक्षा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अपनाने की वकालत की
प्रशासन में सुधार करेगा और आदर्श आचार संहिता के बार – बार लागू होने के कारण रोजमर्रा की जिंदगी पर विघटनकारी प्रभाव कम करेगा ।
Q. WHY are all party against one nation one election?
बीएसपी ने तर्क दिया कि देश की बढ़ी क्षेत्रीय सीमा और जनसंख्या कार्यान्वय को चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
सीपीआई(एम) ने कहा कि यह सुझाव मूल रूप से अलोकतांत्रिक है और संविधान में निर्धारित संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ पर प्रहार है ।
Q which articles need an amendment for one nation one election?
1.Article 83 (लोकसभा टर्म)
2. 85 ( loksabha dissolution)
3. 172 ( state Legislative Assembly term)
4. 174 ( state Legislative Assembly dissolution)
5. 356 ( president Rule)
6. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।
Q.is india ready to adopted one nation one election?
ANSWERS. YES AND NO READ ABOVE PAGE.