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Togglesambhal jama masjid history in hindi
संभल, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक नगर है, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर में स्थित जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो भारतीय इस्लामी वास्तुकला और इतिहास का प्रतीक है।
निर्माण और इतिहास
- निर्माण काल: संभल की जामा मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल (1526-1530) में किया गया था। इसे बाबर के सेनापति मीर हिंदाल द्वारा बनवाया गया था।
- स्थापत्य शैली: यह मस्जिद मुगल वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। इसकी दीवारों पर की गई नक़्क़ाशी और नक्काशीदार मेहराबें उस समय की कला और कारीगरी की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।
- धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व: यह मस्जिद न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि भारतीय इतिहास में मुगल काल की शुरुआत और इस्लामी संस्कृति के प्रसार का प्रतीक भी है।
मस्जिद की विशेषताएं
- आकर्षक स्थापत्य कला:
- मस्जिद की बनावट में लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।
- मस्जिद के गुंबद और मीनारें अत्यंत भव्य और सुन्दर हैं, जो मुगल कला की पहचान हैं।
- आंगन और नमाज़ स्थल:
- मस्जिद में एक बड़ा आंगन है, जहां एक साथ सैकड़ों लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं।
- मुख्य प्रार्थना कक्ष में मेहराबें और मीनारें इसे अत्यधिक आकर्षक बनाती हैं।
- पुरातात्विक महत्व:
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मस्जिद को एक संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
- यह मस्जिद स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
मस्जिद का वर्तमान स्वरूप
- आज भी यह मस्जिद संभल के मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
- यहाँ ईद और जुमा (शुक्रवार) की नमाज़ में बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
संभल और उसका ऐतिहासिक महत्व
संभल का नाम भारतीय इतिहास में कई कारणों से दर्ज है। मुगल सम्राट हुमायूं ने संभल को अपने शासनकाल में एक महत्वपूर्ण प्रांत बनाया था। संभल की जामा मस्जिद न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय इतिहास में मुगल युग के आरंभ का गवाह भी है।
निष्कर्ष
संभल की जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जो भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को दर्शाती है। यह मस्जिद अतीत के गौरवशाली मुगल काल और भारतीय इस्लामी वास्तुकला की समृद्ध परंपरा का प्रतीक है।