TODAY NEWS IN HINDI : झारखंड के धनबाद ज़िले के एक निजी स्कूल में एक विवादास्पद घटना सामने आई है, जहां प्रिंसिपल के कथित आदेश पर कई छात्राओं से उनकी शर्ट उतरवाई गई। हालांकि, प्रिंसिपल ने इस तरह के किसी आदेश से इनकार किया है।
धनबाद जिलाधिकारी को दी गई छात्राओं की लिखित शिकायत के अनुसार, यह घटना स्कूल में प्री-बोर्ड परीक्षा के आखिरी दिन घटी।
शिकायत में कहा गया है कि परीक्षा के बाद छात्राएं अपनी शर्ट पर एक-दूसरे के लिए शुभकामनाएं लिख रही थीं। इसी दौरान प्रिंसिपल ने इसे स्कूल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला बताया और निर्देश दिया कि सभी छात्राएं अपनी शर्ट स्कूल में ही छोड़कर जाएं।
आरोप है कि इस घटना के बाद कुछ छात्राओं ने अपनी शर्ट खुद उतार दी, जबकि कुछ की शर्ट उनके सीनियर्स द्वारा उतरवाई गई। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए ज़िला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।
छात्राएं इस मुद्दे पर मीडिया के सामने बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन उनके परिजनों ने इसे लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की है।

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Toggleक्या है पूरा मामला?
TODAY NEWS IN HINDI : महेश कुमार (बदला हुआ नाम), जो पेशे से व्यवसायी हैं और जिनकी बेटी उसी स्कूल की छात्रा है, ने बीबीसी हिंदी को बताया, “9 जनवरी को दोपहर में मेरी बेटी का फोन आया। मैं उस समय कोलकाता में था। उसने बताया कि दसवीं की प्री-बोर्ड परीक्षा खत्म होने के बाद वह अपने दोस्तों के साथ ‘पेन डे’ मना रही थी। तभी अचानक प्रिंसिपल स्कूल ग्राउंड में आईं और डांटना शुरू कर दिया।”
महेश कुमार ने आगे बताया, “प्रिंसिपल ने कहा कि जिन शर्ट्स पर मैसेज लिखा है, उन्हें जमा कर दो। कुछ छात्राएं ‘पेन डे’ के लिए अलग शर्ट लेकर आई थीं, जबकि कुछ ने स्कूल यूनिफॉर्म पर ही शुभकामनाएं लिखवा रखी थीं। इस पर प्रिंसिपल ने उन छात्राओं की शर्ट उतरवाई और उन्हें सिर्फ ब्लेज़र पहनकर घर जाने पर मजबूर किया।”
एक अन्य अभिभावक ने बीबीसी को बताया, “एक महिला द्वारा बच्चियों के साथ इस तरह का व्यवहार बेहद दुखद है। यह अस्वीकार्य है।”
स्कूल में दसवीं कक्षा के दोनों सेक्शन मिलाकर कुल 120 छात्राएं हैं। परीक्षा खत्म होने के बाद लगभग 20 छात्राएं पहले ही घर चली गई थीं, जबकि बाकी छात्राएं ‘पेन डे’ सेलिब्रेट कर रही थीं। घटना के बाद कुछ छात्राओं को ब्लेज़र पहनकर सार्वजनिक परिवहन से घर लौटना पड़ा।
महेश कुमार ने आगे कहा, “मेरी बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है। लेकिन हमने उसे समझाया है कि सभी बच्चियों की लड़ाई उनके पेरेंट्स लड़ रहे हैं। उसे इस समय अपने बोर्ड एग्ज़ाम पर ध्यान देना चाहिए।”
एक अन्य अभिभावक ने चिंता जताते हुए कहा कि इस घटना का असर छात्राओं के रिज़ल्ट पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “हम इस मामले को दबने नहीं देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो।”
अभिभावकों की मांग है कि प्रिंसिपल पर सख्त कार्रवाई हो। अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए गुस्साए परिजनों और स्थानीय लोगों ने बीते शनिवार को प्रिंसिपल का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
यह स्कूल 1955 से संचालित हो रहा है और इस समय इसमें लगभग 1,300 छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं।
डीसी माधवी मिश्रा ने दिए जांच के आदेश
धनबाद की उपायुक्त (डीसी) माधवी मिश्रा ने बीबीसी को जानकारी दी कि क़रीब 80 छात्राओं की शर्ट उतरवाने की शिकायत प्राप्त हुई है।
माधवी मिश्रा ने बताया, “शनिवार को कुछ छात्राएं और उनके परिजन मेरे कार्यालय आए थे। उन्होंने बताया कि 9 जनवरी को कक्षा 10 की छात्राएं ‘पेन डे’ मना रही थीं और एक-दूसरे की शर्ट पर कुछ लिख रही थीं।”
उपायुक्त ने कहा, “ज़िला स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया गया है। कल कमेटी ने स्कूल का दौरा किया और सीसीटीवी रूम को सील कर दिया है। जांच जारी है और जैसे ही रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
माधवी मिश्रा के अनुसार, प्रिंसिपल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
प्रिंसिपल ने पत्रकारों से कहा, “मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। न ही मैंने छात्राओं से शर्ट उतारने को कहा, न ही उन्हें इस स्थिति में घर जाने के लिए मजबूर किया। मैंने केवल इतना कहा था कि सभी छात्राएं सही यूनिफॉर्म में रहें।”
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या आप पर लगे आरोप झूठे हैं, तो प्रिंसिपल ने जवाब दिया, “हां, यह आरोप पूरी तरह गलत हैं।”

बीजेपी ने जताया विरोध, सीएम से कार्रवाई की मांग
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस घटना पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जांच के नाम पर मामले की लीपापोती करने के बजाय दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें।”
अभिभावकों के साथ शिकायत लेकर जब वे जिलाधिकारी के पास पहुंचे, तो उनके साथ झरिया की विधायक रागिनी सिंह भी मौजूद थीं।
रागिनी सिंह ने बीबीसी से कहा, “एक महिला होकर महिलाओं का सम्मान न करना बहुत निंदनीय है। प्रिंसिपल को यदि बच्चियों की हरकत गलत लगी, तो यह बात पैरेंट्स से करनी चाहिए थी, न कि उनके कपड़े उतरवाने चाहिए थे।”
उन्होंने आगे कहा, “बोर्ड परीक्षा इसी स्कूल में होनी है। बच्चियां डरी हुई हैं और उनका स्कूल पर से भरोसा उठ गया है। हमने उनके लिए सुरक्षा की मांग की है। यदि प्रशासन की निगरानी में परीक्षा नहीं हुई, तो हम आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।”
वहीं, इलाक़े की पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “विद्यालय प्रबंधन की इस घटिया हरकत से मैं स्तब्ध हूं। स्कूल के आखिरी दिन ‘पेन डे’ को यादगार बनाने की यह परंपरा अब पीढ़ियों से चली आ रही है। लेकिन प्रशासन द्वारा बच्चों के साथ की गई मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना उनके लिए आजीवन एक भयावह अनुभव बन जाएगी।”
इस घटना की शिकायत डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के पास भी दर्ज की गई है।
कमेटी के अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने बताया, “समाजसेवी अंकित राजगढ़िया और धनबाद पैरेंट्स एसोसिएशन से जुड़े मनोज मिश्रा और मधुरेंद्र सिंह ने शिकायत दर्ज कराई है। हम जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल कल्याण समिति के सदस्य सोमवार को स्कूल का दौरा करेंगे। फिलहाल बच्चियों को काउंसलिंग की सख्त आवश्यकता है, और हम इसके लिए पहल कर रहे हैं।”
सामाजिक कार्यकर्ता अंकित राजगढ़िया ने कहा, “झारखंड हाईकोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए और जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई का आदेश देना चाहिए। इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।”
वकील अपूर्वा विवेक, जो महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर काम करने वाली संस्था ‘हासिया: सोसियो लीगल सेंटर फॉर विमेन’ से जुड़ी हैं, ने बीबीसी को बताया, “यह मामला प्राथमिक दृष्टि में यौन उत्पीड़न का है। पॉक्सो एक्ट की धारा 9 के अनुसार, यदि किसी बच्चे को सार्वजनिक रूप से निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि, अदालत जांच करेगी कि ऐसा करने के पीछे प्रिंसिपल की मंशा यौन उत्पीड़न की थी या नहीं।”
फिलहाल, परिजन जिला प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। यदि प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे न्यायालय का रुख करने की तैयारी में हैं।