दुनिया भर में जब भी एयर डिफेंस सिस्टम की बात होती है, तो S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम का नाम सबसे पहले आता है। यह मिसाइल प्रणाली अपनी सटीकता, रेंज और मल्टी टारगेट एंगेजमेंट क्षमताओं के कारण आधुनिक युद्ध तकनीक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक बन चुकी है।
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ToggleS-400 मिसाइल सिस्टम क्या है?(What is s400 missile)
S-400 ट्रायम्फ (NATO कोडनेम: SA-21 Growler) रूस द्वारा विकसित एक लॉन्ग रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम है। इसे अल्माज-एंतेई द्वारा विकसित किया गया है और यह रूस की सबसे आधुनिक और शक्तिशाली एयर डिफेंस प्रणाली मानी जाती है। यह सिस्टम दुश्मन के लड़ाकू विमान, क्रूज़ मिसाइल, बैलेस्टिक मिसाइल, और यहां तक कि ड्रोन को भी 400 किलोमीटर की दूरी से नष्ट करने में सक्षम है।
इसमें चार प्रकार की मिसाइलें होती हैं:
- 40N6E (400 किमी रेंज)
- 48N6 (250 किमी रेंज)
- 9M96E2 (120 किमी रेंज)
- 9M96E (40 किमी रेंज)
यह सिस्टम 36 टारगेट्स को एक साथ ट्रैक कर सकता है और उनमें से 72 तक पर एकसाथ अटैक कर सकता है।
S-400 किस प्रकार की मिसाइल प्रणाली है?
S-400 एक मल्टी-लेयर, लॉन्ग-रेंज सर्फेस-टू-एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है। यह मिसाइल प्रणाली रडार की सहायता से हवाई खतरों का पता लगाती है और विभिन्न रेंज की मिसाइलों के ज़रिए उन्हें नष्ट करती है। यह प्रणाली निम्न से उच्च ऊंचाई तक उड़ान भरने वाले लक्ष्य को पहचानने और नष्ट करने में सक्षम है।

मुख्य विशेषताएं:
- रेंज: 400 किमी तक
- ऊँचाई: 30 किमी तक
- स्पीड: 4.8 किलोमीटर/सेकंड
- रेडार कवरेज: 600 किमी तक
- मल्टी-टारगेटिंग: एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला
S-400 मिसाइल सिस्टम किन देशों के पास है?
1. रूस (Russia)
S-400 की मूल निर्माता और पहला उपयोगकर्ता रूस ही है। रूस ने इसे अपने एयर डिफेंस नेटवर्क में 2007 में शामिल किया था और अब इसके कई यूनिट्स रूस के सामरिक ठिकानों पर तैनात हैं।
2. चीन (China)
चीन पहला विदेशी देश था जिसने S-400 खरीदा। चीन ने 2015 में रूस के साथ सौदा किया था और अब तक वह इस प्रणाली को अपने पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में तैनात कर चुका है, जहां से वह ताइवान और दक्षिण चीन सागर को कवर कर सकता है।
3. भारत (India)
भारत ने रूस के साथ 2018 में लगभग $5.43 बिलियन का सौदा किया और अब तक उसे 5 में से 3 रेजिमेंट मिल चुकी हैं। भारत ने इस प्रणाली को पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर तैनात किया है, जिससे इसकी रणनीतिक शक्ति में भारी इजाफा हुआ है।
4. तुर्की (Turkey)
तुर्की ने 2017 में S-400 खरीदने का निर्णय लिया, जो NATO देशों के लिए विवाद का कारण बन गया। अमेरिका ने इस डील के चलते तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया। फिर भी तुर्की ने रूस से डिलीवरी लेकर S-400 को सक्रिय किया।
5. बेलारूस (Belarus)
बेलारूस, रूस का करीबी सहयोगी है, और उसे भी S-400 प्रणाली प्राप्त हुई है। इसकी तैनाती यूरोप की पूर्वी सीमाओं पर हुई है।
6. सऊदी अरब और मिस्र (संभावित ग्राहक)
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब और मिस्र भी इस प्रणाली को खरीदने में रुचि दिखा चुके हैं।
S-400 बनाम अन्य मिसाइल सिस्टम
विशेषता | S-400 (रूस) | THAAD (अमेरिका) | Patriot PAC-3 (अमेरिका) |
---|---|---|---|
रेंज | 400 किमी | 200 किमी | 160 किमी |
ऊँचाई | 30 किमी | 150 किमी | 24 किमी |
स्पीड | 4.8 किमी/सेकंड | 8.2 किमी/सेकंड | 5 किमी/सेकंड |
मल्टी टारगेट | हां | सीमित | सीमित |
S-400 इन सभी सिस्टम्स में सबसे ज्यादा रेंज और सटीकता प्रदान करता है।
भारत के लिए S-400 क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत के लिए S-400 एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसके तैनात होते ही भारत की वायु रक्षा प्रणाली को एक अभेद्य कवच मिल जाता है। खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे दोहरे मोर्चे पर, यह प्रणाली भारत को बहुत बड़ी रणनीतिक बढ़त देती है।
इसके अलावा, भारत ने इसे ऐसे समय पर खरीदा, जब अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध (CAATSA) लगाने की चेतावनी दी जा रही थी। फिर भी भारत अपने रक्षा हितों से समझौता किए बिना डील को अंजाम तक ले गया।

क्या S-400 मिसाइल प्रणाली को जाम किया जा सकता है?
S-400 को इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से बचाने के लिए एडवांस्ड ECM (Electronic Counter Measure) तकनीक से लैस किया गया है। इसका मल्टी लेयर रडार नेटवर्क, लो ऑब्ज़र्वेबल टारगेट्स को भी पहचान सकता है। हालांकि कोई भी प्रणाली 100% अजेय नहीं होती, लेकिन S-400 को जाम करना बेहद मुश्किल और जोखिम भरा कार्य है।
निष्कर्ष: S-400 क्यों है दुनिया की सबसे ताकतवर एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली?
- बहुस्तरीय सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता
- दूरदराज के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता
- मल्टी टारगेट और मल्टी रेंज की ताकत
- तेजी से डिप्लॉय किया जा सकने वाला सिस्टम
- और सबसे महत्वपूर्ण – रणनीतिक बढ़त
S-400 की इन खूबियों के कारण ही यह प्रणाली आज दुनिया के सबसे अधिक मांग वाले एयर डिफेंस सिस्टम्स में से एक है। जो देश इसे खरीदते हैं, उनकी सुरक्षा क्षमताओं में भारी उन्नति होती है।