Why Axar Patel Is Called Bapu : क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ी सिर्फ अपने प्रदर्शन से नहीं, बल्कि अपने अंदाज़, व्यक्तित्व और उपनामों से भी फैंस के दिलों में जगह बना लेते हैं। ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं अक्षर पटेल, जिनका निकनेम “बापू” है। यह नाम जितना सरल और प्यारा है, उतनी ही दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी।
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Toggleअक्षर पटेल का क्रिकेट सफर और उनकी शांत स्वभाव की पहचान
अक्षर पटेल, भारत के एक प्रतिभाशाली ऑलराउंडर हैं, जो अपनी शानदार स्पिन गेंदबाजी, उपयोगी मिडल-ऑर्डर बल्लेबाज़ी और मैदान पर अपनी उपस्थिति से लगातार भारतीय टीम को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। लेकिन उनके शांत, विनम्र और संतुलित स्वभाव ने उन्हें एक अलग पहचान दी — “बापू”।

उपनाम की शुरुआत – अंडर-19 टीम से निकली एक प्यारी मज़ाकिया बात
यह उपनाम तब शुरू हुआ जब अक्षर पटेल भारत की अंडर-19 टीम का हिस्सा थे। टीम के साथी खिलाड़ियों में से किसी ने मजाक में उन्हें “बापू” कहना शुरू किया, यह तुलना महात्मा गांधी से की गई थी, जिनका लोकप्रिय उपनाम भी “बापू” था।
अक्षर पटेल का स्वभाव शांत, गंभीर और संतुलित है, जो उन्हें टीम में एक परिपक्व और समझदार इंसान की तरह दर्शाता है। यही गुण उनके साथियों को महात्मा गांधी की याद दिलाते थे — और तभी से यह नाम उनके साथ जुड़ गया।
Why Axar Patel Is Called Bapu: रविंद्र जडेजा का हाथ “बापू” को मशहूर करने में
रविंद्र जडेजा, जो स्वयं गुजरात से हैं और अक्षर पटेल के अच्छे मित्र भी हैं, उन्होंने इस उपनाम को और मज़बूती दी। जडेजा अकसर ड्रेसिंग रूम में, प्रैक्टिस के दौरान और आईपीएल के मैचों में उन्हें “बापू” कहकर बुलाते थे। यही नहीं, उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इस नाम का प्रयोग करना शुरू किया, जिससे यह उपनाम क्रिकेट फैंस के बीच मशहूर हो गया।

उदाहरण के लिए, जब जडेजा ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “Come on Bapu!“, तो यह लाइन वायरल हो गई और अक्षर का यह नाम पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।
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“बापू” – अब एक पहचान, एक भावना
आज के समय में अक्षर पटेल का “बापू” उपनाम सिर्फ मजाक या दोस्ती की निशानी नहीं, बल्कि एक सम्मान और स्नेह का प्रतीक बन गया है। टीम इंडिया के खिलाड़ी, कोच, फैंस सभी इस नाम से उन्हें पुकारते हैं।
“बापू” शब्द उनके उस स्वभाव को दर्शाता है जो आज के क्रिकेट युग में दुर्लभ होता जा रहा है – एकदम शांत, बिना गुस्से के, पूरी लगन से खेलना और टीम को हर हाल में सहयोग देना। चाहे वह बल्ले से टीम को संकट से निकालना हो या गेंद से विरोधी टीम को चौंकाना, अक्षर हर बार साबित करते हैं कि वे एक सच्चे “टीम प्लेयर” हैं।

आईपीएल में भी चला “बापू” का जादू
आईपीएल (Indian Premier League) में खेलते समय भी अक्षर पटेल का यह उपनाम छाया रहता है। चाहे वे दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलें या पहले किंग्स इलेवन पंजाब के लिए खेले हों, उनकी भूमिका एक स्टेबल ऑलराउंडर की रही है, जो टीम की ज़रूरत के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं।
आईपीएल में उनके कई साथी खिलाड़ी जैसे ऋषभ पंत, डैविड वॉर्नर और कोच रिकी पोंटिंग भी उन्हें “बापू” कहकर बुलाते हैं। फैंस भी जब उन्हें मैदान पर उतरते हुए देखते हैं तो “चलो बापू, दिखाओ जलवा!” जैसे नारे लगाने लगते हैं।
सोशल मीडिया और “बापू” मीम कल्चर
अक्षर पटेल का यह उपनाम सोशल मीडिया पर एक मीम कल्चर में तब्दील हो चुका है। फैंस “बापू” नाम का प्रयोग करके मजेदार मीम्स बनाते हैं, जो इंटरनेट पर वायरल हो जाते हैं। खासकर जब वह किसी मैच में शानदार परफॉर्म करते हैं, तो ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #BapuRocks जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगते हैं।
“बापू” नाम से जुड़ी प्रेरणा
जहाँ एक ओर यह नाम उनके स्वभाव और अंदाज़ की वजह से जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर यह उनके सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदारी से खेल के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है। आज के युग में जहां ग्लैमर और शो-ऑफ आम हो चुका है, वहीं अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ी अपने व्यवहार से यह दिखाते हैं कि “सादगी में भी सफलता छिपी होती है।”
निष्कर्ष : बापू केवल नाम नहीं, एक ब्रांड बन चुका है
Why Axar Patel Is Called Bapu: अक्षर पटेल का “बापू” बनना महज़ एक मज़ाकिया शुरुआत नहीं, बल्कि एक प्रेरक कहानी बन गई है। यह दिखाता है कि खिलाड़ी का व्यक्तित्व उसके नाम से भी बड़ा होता है। आज जब युवा खिलाड़ी मैदान पर आकर चमकने का सपना देखते हैं, तो उन्हें अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ी से यह सीख मिलती है कि शांत रहकर, अनुशासित रहकर और निरंतर मेहनत से भी महान बना जा सकता है।
“बापू” आज एक ऐसा नाम है जो अक्षर पटेल की सादगी, मेहनत, और भारतीयता का प्रतीक बन चुका है।