Why Imf Give Loan to Pakistan? : पाकिस्तान का नाम सुनते ही अक्सर हमारे मन में आर्थिक संकट, महंगाई और विदेशी कर्ज जैसे शब्द गूंजने लगते हैं। इन दिनों अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब भी पाकिस्तान की बात होती है, तो IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) का जिक्र जरूर आता है। लेकिन आखिर IMF पाकिस्तान को बार-बार लोन क्यों देता है? क्या यह सिर्फ एक आर्थिक जरूरत है या इसके पीछे कुछ छिपे हुए राजनीतिक और रणनीतिक हित भी हैं? इस लेख में हम इन्हीं पहलुओं की विस्तार से चर्चा करेंगे।
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ToggleIMF क्या है और इसका उद्देश्य क्या होता है?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक वैश्विक वित्तीय संस्था है जिसका गठन 1944 में हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य है:
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना
- देशों को आर्थिक संकट से उबारना
- भुगतान संतुलन की समस्या को सुलझाना
- मुद्रा विनिमय दरों में स्थिरता बनाए रखना
IMF 190 से अधिक देशों का संगठन है और जब किसी देश को विदेशी मुद्रा की जरूरत होती है, तो यह संस्था उसे कम ब्याज पर कर्ज देती है, लेकिन इसके बदले में कुछ सख्त शर्तें भी लागू करती है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति: एक संक्षिप्त झलक
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दशकों से संकटग्रस्त रही है। इसकी प्रमुख समस्याओं में शामिल हैं:
- उच्च आयात और कम निर्यात
- तेज़ी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार
- राजकोषीय घाटा
- तेजी से बढ़ता विदेशी कर्ज
- सियासी अस्थिरता और भ्रष्टाचार

इन सभी कारणों के चलते पाकिस्तान अक्सर आर्थिक संकट में घिर जाता है और उसे बार-बार IMF के पास जाना पड़ता है।
IMF पाकिस्तान को बार-बार कर्ज क्यों देता है?(Why Imf Give Loan to Pakistan?)
1. भू-राजनीतिक (Geo-Political) महत्त्व
पाकिस्तान की स्थिति रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह:
- भारत और चीन के बीच स्थित है
- अफगानिस्तान की सीमा से जुड़ा हुआ है
- अमेरिका की मध्य-एशिया नीतियों में इसका उपयोग होता रहा है
IMF में अमेरिका का प्रभाव सबसे अधिक है और वह नहीं चाहता कि पाकिस्तान पूरी तरह चीन या किसी अन्य शक्ति की ओर झुक जाए। इसलिए अमेरिका के दबाव में IMF पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देता रहता है, ताकि वह पश्चिमी प्रभाव में बना रहे।
2. पाकिस्तान को डिफॉल्ट से बचाना
अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट करता है, तो इसके व्यापक परिणाम हो सकते हैं:
- क्षेत्रीय अस्थिरता
- आतंकवाद और चरमपंथ को बढ़ावा
- वैश्विक बाजारों में अस्थिरता
IMF इन जोखिमों को कम करने के लिए कर्ज देता है, ताकि पाकिस्तान अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सके और सिस्टम में बना रहे।
3. चीन के कर्ज का मुकाबला
पाकिस्तान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में पहले से ही चीन के भारी कर्ज में डूबा हुआ है। IMF इस पर नजर रखता है क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई देश पूरी तरह चीन के प्रभाव में चला जाए।
इसलिए IMF अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए पाकिस्तान को राहत पैकेज देता है, ताकि वह चीन के कर्ज जाल में पूरी तरह न फंस जाए।

4. वैश्विक वित्तीय स्थिरता बनाए रखना
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अगर ढह जाती है, तो उसके असर:
- उसके कर्जदार देशों
- आस-पास के देशों
- वैश्विक वित्तीय बाजार
पर भी पड़ सकते हैं। IMF इस संकट को टालने के लिए पाकिस्तान को कर्ज देता है।
IMF की कर्ज देने की शर्तें क्या होती हैं?
IMF कभी भी बिना शर्तों के कर्ज नहीं देता। पाकिस्तान जैसे देशों को निम्नलिखित शर्तें माननी पड़ती हैं:
- सब्सिडी में कटौती
- टैक्स बढ़ाना
- मुद्रा का अवमूल्यन
- सरकारी खर्चों में कटौती
- बिजली और पेट्रोल के दाम बढ़ाना
ये शर्तें आम जनता के लिए अत्यंत कठिनाइयाँ लाती हैं, लेकिन IMF का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था लंबे समय में सुधरती है।
क्या IMF का कर्ज पाकिस्तान की समस्याएं हल कर पाता है?
सीधा जवाब है – नहीं।
IMF का कर्ज अस्थायी राहत जरूर देता है लेकिन अगर संरचनात्मक सुधार न हों, तो देश फिर उसी संकट में फंस जाता है। पाकिस्तान भी इन्हीं कारणों से बार-बार कर्ज लेता है लेकिन:
- न तो निर्यात बढ़ाता है
- न ही टैक्स कलेक्शन सुधारता है
- न ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाता है
इसलिए IMF की मदद भी स्थायी समाधान नहीं बन पाती।
पाकिस्तान ने अब तक IMF से कितनी बार कर्ज लिया है?
पाकिस्तान अब तक IMF से 23 बार लोन ले चुका है, जो दुनिया में सबसे अधिक बारों में से एक है। इसका सबसे बड़ा पैकेज:
- 2019 में $6 बिलियन
- 2023 में $3 बिलियन का स्टैंडबाय एग्रीमेंट
इन सबका मतलब यह है कि पाकिस्तान IMF की नजर में एक हाई-रिस्क, लेकिन स्ट्रैटेजिक एलायंस है।
IMF और पाकिस्तान: एक निर्भरता का रिश्ता
पाकिस्तान अब एक ऐसी स्थिति में आ चुका है जहां वह IMF के बिना अपनी आर्थिक गाड़ी नहीं चला सकता। वहीं IMF भी पाकिस्तान को पूरी तरह छोड़ने का जोखिम नहीं ले सकता।
यह रिश्ता न तो पूरी तरह लाभदायक है, न ही पूरी तरह बेकार। यह एक तरह की अनिवार्य निर्भरता (mutual dependency) बन चुका है।
निष्कर्ष: क्या पाकिस्तान इस चक्रव्यूह से बाहर निकल पाएगा?
अगर पाकिस्तान को वाकई IMF के कर्ज से छुटकारा चाहिए, तो उसे चाहिए कि वह:
- अपने कर ढांचे को सुधारे
- निर्यात को बढ़ावा दे
- भ्रष्टाचार पर लगाम लगाए
- राजनीतिक स्थिरता बनाए रखे
वरना आने वाले वर्षों में भी हम यही हेडलाइन पढ़ते रहेंगे – “IMF ने पाकिस्तान को नई ऋण किश्त दी”।