Human Metapneumovirus: चीन में तबाही मचाने वाला Human Metapneumovirus (एचएमपीवी) अब भारत में भी दस्तक दे चुका है। बेंगलुरु में इस वायरस का पहला मामला सामने आया है, जहां आठ महीने की बच्ची इससे संक्रमित पाई गई है।
कोरोना महामारी से उबरने की कोशिश कर रही दुनिया के लिए एक नई चुनौती सामने आई है। चीन में Human Metapneumovirus (एचएमपीवी) के कारण कोविड-19 के पीक जैसे हालात फिर से पैदा होने लगे हैं। अस्पतालों और श्मशान घाटों पर बढ़ती भीड़ की खबरों के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है।
हालांकि Human Metapneumovirus कोई नया वायरस नहीं है, लेकिन इसकी वर्तमान प्रकृति और तेज़ी से फैलने की क्षमता ने विशेषज्ञों को सतर्क कर दिया है। कई रिपोर्ट्स में यह आशंका जताई गई है कि यदि संक्रमण को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह वायरस अगले पांच वर्षों में एक और वैश्विक महामारी का कारण बन सकता है। महज 20-25 दिनों के भीतर एचएमपीवी ने चीन समेत दुनियाभर की स्वास्थ्य एजेंसियों को अलर्ट पर ला दिया है।
चीन में फैलने वाला यह खतरनाक वायरस अब भारत में भी दस्तक दे चुका है। सोमवार, 6 जनवरी तक देश में तीन बच्चों में Human Metapneumovirus (एचएमपीवी) संक्रमण की पुष्टि हुई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कर्नाटक में दो बच्चों में इस वायरस का संक्रमण पाया है। इनमें तीन महीने की एक बच्ची और आठ महीने का एक बच्चा शामिल है। इसके अलावा, गुजरात के अहमदाबाद में भी दो महीने की एक बच्ची में एचएमपीवी संक्रमण की खबर सामने आई है।
अमेरिका में एचएमपीवी संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉ. रविंद्र गोडसे बताते हैं कि यह वायरस बहुत गंभीर रोग नहीं पैदा करता। अधिकांश मामलों में संक्रमितों को फ्लू जैसे लक्षण ही होते हैं। हालांकि, कुछ लोगों में यह अस्थमा या ब्रोंकाइटिस को ट्रिगर कर सकता है। यह वायरस मुख्य रूप से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है।
डॉ. रविंद्र बताते हैं कि जैसे कोरोनावायरस में म्यूटेशन के बाद 2019-20 में नोवेल कोरोनावायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी, उसी तरह माना जा रहा है कि एचएमपीवी में भी कुछ बदलाव हुए हैं। हालांकि, फिलहाल इस वायरस के अत्यधिक खतरनाक होने का खतरा कम बताया जा रहा है।
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Toggleह्यूमन मेटान्यूमोवायरस(Human Metapneumovirus) : एक परिचय
डॉ. रविंद्र गोडसे बताते हैं कि Human Metapneumovirus (एचएमपीवी) कोई नया वायरस नहीं है। यह वायरस पिछले 60 सालों से दुनिया में मौजूद है और वैज्ञानिक इसे करीब 25 साल से जानते हैं। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि वायरस दो प्रकार के होते हैं: डीएनए वायरस और आरएनए वायरस।
- डीएनए वायरस: ये स्थिर होते हैं और इनमें बदलाव नहीं होता।
- आरएनए वायरस: ये म्यूटेशन करते रहते हैं, यानी समय के साथ इनमें बदलाव संभव है।
Human Metapneumovirus एक आरएनए वायरस है, इसलिए इसमें म्यूटेशन की संभावना रहती है।
क्या यह कोविड जैसी महामारी बन सकता है?
डॉ. रविंद्र कहते हैं कि अब तक उपलब्ध जानकारी और मरीजों की प्रकृति को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि एचएमपीवी कोविड-19 जैसी गंभीर महामारी का कारण नहीं बनेगा। हालांकि, यह जरूर ध्यान रखना होगा कि एचएमपीवी के नए म्यूटेशनों पर विस्तृत अध्ययन की रिपोर्ट अभी आना बाकी है।
चीन में स्थिति क्यों बिगड़ी?
जब Human Metapneumovirus (एचएमपीवी) ज्यादा खतरनाक नहीं है, तो फिर चीन में हालात इतनी तेजी से कैसे बिगड़े? इस पर डॉ. रविंद्र गोडसे बताते हैं कि इसके पीछे चीन की ‘जीरो-कोविड पॉलिसी’ एक बड़ी वजह है।
चीन में मार्च 2020 से लेकर दिसंबर 2023 तक कठोर लॉकडाउन लागू रहा। इस दौरान:
- बच्चे न स्कूल गए और न ही समाज के साथ सामान्य रूप से घुल-मिल पाए।
- उनका दूसरे लोगों से संपर्क और सामान्य संक्रमणों से सामना बेहद सीमित रहा।
- इस कारण इन बच्चों में प्राकृतिक इम्युनिटी विकसित नहीं हो पाई।
यही वजह है कि लॉकडाउन के बाद जब बच्चे बाहरी दुनिया के संपर्क में आए, तो वे एचएमपीवी जैसे नए म्यूटेटेड वायरस से अधिक प्रभावित हो गए।
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भारत में एचएमपीवी की स्थिति
डॉ. रविंद्र के अनुसार, भारत जैसे देशों में बच्चे समय रहते ही सामान्य संक्रमणों के संपर्क में आकर मजबूत इम्युनिटी विकसित कर लेते हैं। यही कारण है कि भारत में एचएमपीवी के बड़े पैमाने पर फैलने या गंभीर रूप लेने की आशंका बहुत कम है।
भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस से बचाव
डॉ. रविंद्र गोडसे के अनुसार, भारत में Human Metapneumovirus (एचएमपीवी) से बहुत अधिक खतरा नहीं है, और न ही इससे बचाव के लिए किसी विशेष उपाय की आवश्यकता है। हालांकि, श्वसन संक्रामक रोगों से बचने के लिए कोविड-19 के दौरान अपनाए गए उपाय पर्याप्त हैं।
आवश्यक बचाव उपाय:
- हाथों की स्वच्छता: नियमित रूप से हाथ धोएं और संक्रमण फैलने से रोकें।
- इम्युनिटी बढ़ाना: पौष्टिक आहार लें, नियमित व्यायाम करें, और पर्याप्त नींद लें।
- मास्क पहनें: खासतौर पर वे लोग जिनकी इम्युनिटी कमजोर है या जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है।
- सामाजिक दूरी: भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें, विशेष रूप से कमजोर इम्युनिटी वाले लोग।
किन्हें सतर्क रहना चाहिए?
- कोमोरबिडिटी वाले लोग: जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, या अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग।
- बुजुर्ग और बच्चे: जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है।
ध्यान रखें:
सामान्य लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में एचएमपीवी के बड़े संकट का कारण बनने की संभावना बहुत कम है। सामान्य स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी आदतें इस वायरस से बचाव के लिए पर्याप्त हैं।
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