What is indus water treaty 1960: इंडस वॉटर ट्रीटी, जिसे हिंदी में “सिंधु जल संधि” कहा जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर किया गया एक ऐतिहासिक समझौता है। यह संधि आज भी जल-विवादों में एक मिसाल मानी जाती है और UPSC, Class 9, एवं अन्य शैक्षिक परीक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि इंडस वॉटर ट्रीटी क्या है, यह कब और किसके द्वारा साइन की गई, तथा इसके पीछे की राजनीतिक और भौगोलिक जटिलताएं क्या थीं।
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Toggleइंडस वॉटर ट्रीटी कब साइन हुई थी?(when and between which countries was the indus water treaty signed)
इंडस वॉटर ट्रीटी पर 19 सितंबर 1960 को हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के बीच साइन हुई थी। यह संधि कराची में आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम में संपन्न हुई।

इंडस वॉटर ट्रीटी किस संस्थान द्वारा करवाई गई थी?
इस संधि को विश्व बैंक (World Bank) की मध्यस्थता में कराया गया था। उस समय विश्व बैंक ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई और जल विवाद को शांतिपूर्ण समाधान तक पहुंचाया।
https://youtu.be/6FnWx5ajJIQ?si=GuWDbxFx6mkM0ERJ
इंडस वॉटर ट्रीटी क्या है? (What is Indus Water Treaty 1960 in Hindi)
इंडस वॉटर ट्रीटी एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों—सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलुज—के जल बंटवारे से संबंधित है।
इस संधि के अनुसार:
- पश्चिम की तीन नदियां (सिंधु, झेलम, चेनाब) का जल अधिकार पाकिस्तान को दिया गया।
- पूर्व की तीन नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज) का जल अधिकार भारत को मिला।
इस संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग करने की अनुमति है, जैसे:
इंडस वॉटर ट्रीटी UPSC दृष्टिकोण से क्यों महत्वपूर्ण है?
UPSC प्रीलिम्स और मेंस दोनों के लिए यह टॉपिक अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:
- भारत-पाकिस्तान संबंधों का एक संवेदनशील और ऐतिहासिक हिस्सा है,
- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का उदाहरण है,
- पारिस्थितिकी और भू-राजनीति को जोड़ता है।
मुख्य बिंदु जो UPSC उम्मीदवारों को ध्यान में रखने चाहिए:
- संधि का उद्देश्य: शांतिपूर्ण जल बंटवारा और टकराव की रोकथाम।
- कानूनी मान्यता: संधि आज भी वैध और क्रियाशील है।
- भू-राजनीतिक महत्व: पाकिस्तान अक्सर भारत पर संधि उल्लंघन का आरोप लगाता है।

🏫 इंडस वॉटर ट्रीटी Class 9 के लिए सरल शब्दों में
Class 9 के छात्रों के लिए, इंडस वॉटर ट्रीटी को इस प्रकार समझा जा सकता है:
- यह एक जल-बंटवारे की संधि है जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी।
- भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली छह बड़ी नदियों का जल दो हिस्सों में बांटा गया।
- तीन नदियों का पानी भारत को मिला और तीन पाकिस्तान को।
यह एक उदाहरण है कि कैसे दो देश शांति से संसाधनों को बांट सकते हैं।
📌 भारत-पाकिस्तान के बीच जल विवाद का समाधान
हालांकि यह संधि शांति का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन पाकिस्तान ने समय-समय पर भारत पर पश्चिमी नदियों के उपयोग को लेकर आपत्ति जताई है। खासकर भारत की बगलीहार डैम और किशनगंगा प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान ने विश्व बैंक से शिकायतें की हैं।
लेकिन भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह संधि के तहत मिली सीमित गतिविधियों का ही पालन कर रहा है।
इंडस वॉटर ट्रीटी की वर्तमान प्रासंगिकता
आज जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या के चलते पानी की मांग और विवाद दोनों बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह संधि अब और भी ज्यादा प्रासंगिक बन गई है। भारत कई बार यह विचार कर चुका है कि इस संधि की पुनः समीक्षा की जाए, विशेषकर जब पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन मिलने के आरोप लगते हैं।
📚 इंडस वॉटर ट्रीटी से जुड़ी प्रमुख बातें
बिंदु | विवरण |
---|---|
संधि का नाम | इंडस वॉटर ट्रीटी (सिंधु जल संधि) |
हस्ताक्षर की तिथि | 19 सितंबर 1960 |
हस्ताक्षरकर्ता | भारत: पं. जवाहरलाल नेहरू पाकिस्तान: जनरल अयूब खान |
मध्यस्थ | विश्व बैंक (World Bank) |
कुल नदियां | 6 (सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) |
बंटवारा | पश्चिमी 3 नदियां – पाकिस्तान पूर्वी 3 नदियां – भारत |
भारत के अधिकार | सीमित सिंचाई, बिजली उत्पादन, घरेलू उपयोग |
🔚 निष्कर्ष: क्या इंडस वॉटर ट्रीटी को बनाए रखना चाहिए?
इंडस वॉटर ट्रीटी न केवल भारत-पाकिस्तान के जल संबंधों का आधार है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांतिपूर्ण संसाधन बंटवारे का उदाहरण भी है। हालांकि समय के साथ इसकी चुनौतियां बढ़ी हैं, फिर भी यह संधि आज भी लागू है और कूटनीतिक समझदारी का प्रतीक है।
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